देश की आजादी मुसलमानो के बलिदान का परिणाम है : राज कुमार जैन
नई दिल्ली, (अनवार अहमद नूर)। लहू बोलता भी है हिंदी उर्दू दोनों भाषाओं में लिखी पुस्तक के लेखक शाहनवाज कादरी की उपस्थिति में देश की आजादी और उसमें दी गई कुर्बानियों की सच्चाई पर विस्तार से चर्चा की गई और इतिहास को तोड़ने मरोड़ने तथा छुपाने की साजिशों का पर्दाफाश किया गया।
एवाने गालिब नई दिल्ली के सभागार में आयोजित विचार सभा की अध्यक्षता प्रोफेसर सदीकुर रहमान किदवई ने की जबकि मुख्य अतिथि संसद सदस्य संजय सिंह रहे। मुख्य वक्ताओं में प्रोफेसर आनंद कुमार, राजकुमार जैन, शाहनवाज कादरी और कल्कि आदि रहे।
प्रोफेसर राजकुमार जैन ने लहू बोलता भी है के लेखक की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए पुस्तक की ऐतिहासिक सच्चाईयों पर बात करते हुए बताया कि देश में मुसलमानों के बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। आरएसएस और उनके समर्थक आज देश के इतिहास को तोड़ मरोड़ कर पेश करने और छुपाने की कोशिश कर रहे हैं तथा उन सच्चाईयों को मिटाने की कोशिशें की जा रही हैं जो आजादी की वास्तविकता को बयान करती हैं और यह बताती हैं कि देश की आजादी सबके मिले-जुले प्रयासों और मुसलमानों के अथाह बलिदान के बाद प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा इतिहास कभी मिटता नहीं है, देश की आजादी का इतिहास बैरिस्टर युसूफ मेहर अली और शेर अली खान जैसे देश प्रेमियों और जांबाजों को कभी भुला नहीं सकता है। शेर अली खान ने 8 फरवरी 1872 में काले पानी की सजा के दौरान भी लॉर्ड माओ जैसे गवर्नर जनरल को मारकर अपने मादरे वतन की आजादी के लिए मर मिटे। उसको इतिहास और हम भला कैसे भुला सकते हैं।
राजकुमार जैन ने आज के हालात की समीक्षा करते हुए कहा कि आज सचमुच बड़ा बुरा वक्त है, देश के साथ गद्दारी करने वाले उनके साथ रहने वाले इतिहास में अंग्रेजों के गुलाम रहे लोग आज राष्ट्रभक्ति और स्वतंत्रता सेनानी का सर्टिफिकेट बांट रहे हैं और आजादी के असली शहीदों और उनके परिवारों को गद्दारी के खिताब से नवाज रहे हैं। उन्होंने मुसलमानों के संबंध से अपनी बात को इस शेर के जरिए प्रकट किया ,
वक्त गुलशन पर पड़ा तो खून हमने दिया, अब जब बहार आई है तो कहते हैं तेरा काम नहीं।
प्रोफेसर आनंद कुमार ने कहा कि आजादी की कुर्बानियों में कुछ गिने-चुने नामों का विवरण तो बहुत अधिक मिलता है लेकिन जमीनी स्तर के लोगों का विवरण कम मिलता है। 1857 से 1905 तक और 1905 से लेकर 1947 तक का इतिहास मुस्लिम कुर्बानियों और आम हिंदुस्तानियों की शहादत के कारनामों से भरा पड़ा है। देश की आजादी की लड़ाई में जो शख्स टूटा नहीं , झुका नहीं और अपने बच्चों के कटे हुए सिर देख कर भी अंग्रेजों को ललकारता रहा, ऐसे बादशाह बहादुर शाह जफर को भला भारतीय इतिहास कैसे भुला सकता है। 1857 के बाद अंग्रेजों ने मुसलमानों का जिस कदर कत्लेआम किया उसकी कोई दूसरी मिसाल नहीं मिलती। दिल्ली से कोलकाता के बीच कोई बाग ऐसा न था जहां लोगों को फांसी पर लटकाया न गया हो। आजादी की कीमत मुसलमानों ने बहुत भारी चुकाई है, उनका रोजगार उनकी शिक्षा उनकी तरक्की मारी गई, मगर अफसोस आज देशभक्ति और मुसलमानों के बीच अंतर की अफवाहें फैला दी गई और पाकिस्तान का मतलब मुसलमान और मुसलमान का मतलब पाकिस्तान बनाने की कोशिश की जा रही हैं। उन्होंने कहा आरएसएस का सिर्फ एक नेता जो सिर्फ 1 साल के लिए जेल मे रहा और इसके अलावा कोई दूसरी मिसाल नहीं है और इन लोगों ने अगर कत्ल भी किया तो उस सनातन हिंदू धर्मी और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी का जो भारत देश को एक महान देश बनाना चाहता था। मुसलमानों की कुर्बानियों के सच को जाहिर करती पुस्तक लहू बोलता भी है के हवाले से उन्होंने कहा मुसलमानों के आजादी के योगदान को जिन्ना या उसका पाकिस्तान खत्म नहीं कर देता, पाकिस्तान के बनने के बाद भी भारतीय मुसलमानों का भारत पर से हक ख़त्म नहीं हो जाता। भारत उनका था उनका है उनका रहेगा। भारत हम सब का है।
संसद सदस्य और मुख्य अतिथि संजय सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि यह देश सभी का है सबको यहां रहने का हक है। झूठ, मक्कारी और खोखले राष्ट्रवाद की कलई को खोलना आवश्यक है। आज देश में जैसी सरकार चल रही है सबको पता है यहां पीएम नहीं बल्कि देव तुल्य अवतार हैं पीएम मोदी। जो न जाने कब क्या कह दे कुछ पता नहीं। वह देश के इतिहास और भूगोल सब कुछ बिगाड़ रहे हैं। यह कितना आश्चर्यजनक है कि 1952 से 2019 तक मुसलमानों के खिलाफ रहने वाले और काम करने वाले आज मुस्लिम महिलाओं के हितेषी होने का ढोंग कर रहे हैं। नफरत के व्यापार को बढ़ाया जा रहा है जो इस हिंदुस्तानी घर को आग लगाएगा। देश तानाशाही की ओर बढ़ रहा है। देश में आज भी द्रोपदी का चीर हरण हो रहा है और देखने वाले देख रहे हैं जो वास्तव में उतने ही कसूरवार हैं जितने इस चीरहरण को करने वाले।
संजय सिंह ने कहा कि तीन तलाक पर कानून बना रहे हो तो तीन तलाक दिए बगैर जिन्होंने अपनी पत्नी को छोड़ रखा है उनके खिलाफ भी कानून बनाओ। आरएसएस में आजतक कोई ऐसा व्यक्ति नहीं हुआ जो शहीद अशफाकउल्ला, बहादुर शाह जफर, मौलाना अबुल कलाम आजाद , खान अब्दुल गफ्फार खान जैसे स्वतंत्रता सेनानियों के सामने टिक सके। उन्होंने कहा कि इस देश की विशेषता और खूबसूरती यह है कि यहां मंदिर में बिस्मिल्लाह खान की शहनाई गूंजती है तो रसखान को पढ़कर कृष्ण और उनकी लीलाओं को जाना जाता है। मलिक मोहम्मद जायसी पद्मावत लिखते हैं तो मोहम्मद रफी के भजन मंदिरों में गाए बजाए जाते हैं।
सैयद शाहनवाज कादरी ने रहस्योद्घाटन किया कि मुस्लिम इतिहास का सच उगलने वाली किताबों को एक मिशन के तहत बक्सों में बंद करके नागपुर भेज दिया गया है । उन्होंने कहा महात्मा गांधी को मारने वाले को तो सब जानते हैं लेकिन उन्हें किसने बचाया यह भी जानना जरूरी है। महात्मा गांधी जब चंपारण सत्याग्रह में गए तो वहां अंग्रेज अफसर ने उनको खाने में जहर खिलाने का प्रयास किया , जिसको एक छोटे कर्मचारी बत्तख मियां अंसारी ने गांधी जी को बता कर उनको मरने से बचाया जबकि बत्तख मियां की बीवी और बच्चों को अगवा करके जान से मारने की धमकी अंग्रेज अफसर ने दी थी , उसकी परवाह किए बगैर बत्तख मिया ने महात्मा गांधी को जहरीला खाना खाने से रोका।
सभा के अंत में प्रोफेसर सदीकुर रहमान किदवई ने सभी को धन्यवाद देते हुए आजादी के सच को उजागर करने और गलत प्रचार प्रसार करने वालों का मुंह बंद करने के लिए ऐसी बैठकों को देशभर में आयोजित करने का आव्हान किया।